wardha वर्धा, 25 अगस्त
विदर्भ के पाँच आत्महत्या प्रभावित जिलों में वर्धा का भी नाम शामिल है। जलवायु परिवर्तन, असमय बारिश और अतिवृष्टि के कारण किसानों की फसलें लगातार प्रभावित होती हैं। उधार लेकर बोई गई फसल से अपेक्षित उत्पादन न मिलने से किसान कर्ज में फँसकर आत्महत्या को विवश हो जाते हैं। लेकिन वर्धा जिले से यह कलंक मिटाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे, ऐसा आश्वासन राज्य के गृह (ग्रामीण), गृहनिर्माण, शालेय शिक्षा, सहकार तथा खनन राज्यमंत्री एवं वर्धा के पालकमंत्री डॉ. पंकज भोयर ने दिया।
डॉ. भोयर वर्धा स्थित चरखा गृह में रोटरी क्लब गांधी सिटी और जैविक उत्पादक समूह वर्धा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एसआरटी शून्य जुताई खेती कार्यशाला में बोल रहे थे। कार्यक्रम में वसंतराव नाईक कृषि विश्वविद्यालय परभणी के कुलपति डॉ. इंद्रमणी मिश्रा, सगुना रूरल फाउंडेशन रायगढ़ के संस्थापक एवं प्रमुख मार्गदर्शक कृषिरत्न चंद्रशेखर भडसावले, भारत सरकार की जैविक खेती परियोजना के निदेशक डॉ. अजयसिंह राजपूत, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान के मंत्री विजय तांबे उपस्थित थे।
पालकमंत्री भोयर ने कहा कि किसानों का विकास ही आर्थिक प्रगति का आधार है। इसके लिए किसानों को कृषि विभाग से मार्गदर्शन लेकर नया तकनीकी ज्ञान अपनाना चाहिए और जैविक खेती की ओर रुख करना चाहिए। साथ ही, दुग्ध व्यवसाय, मछली पालन और बकरी पालन जैसे कृषि-आधारित उद्योगों को अपनाने से आत्महत्याओं पर रोक लगेगी।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार किसानों को आधुनिक तकनीक सिखाने के लिए बारामती कृषि अनुसंधान केंद्र और इज़राइल जैसे देशों में अध्ययन दौरे आयोजित कर रही है। किसानों को इसका लाभ उठाना चाहिए। राज्य सरकार हमेशा किसानों के साथ है और उनके हित में अनेक योजनाएँ लागू कर रही है। इन योजनाओं का लाभ सभी किसानों को लेना चाहिए, ऐसा आह्वान उन्होंने किया।
