- घरकुल आवास योजना के लाभार्थी का आरोप
- बोरे में भरकर तहसीलदार को दी रेती
- लाभार्थी के सवाल पर प्रशासन चुप
- वर्धा जिले के हिंघनघाट में वाकया
Wardha वर्धा 11 जुलाई :- घर कुल योजना में सस्ते दर पर रेती दिलाने का अश्वासन खोखला साबित हो रहा है, रेती माफिया ग्राहकों को रेती की बजाय मिट्टी मिश्रती रेत दे रहे है, जिससे ग्राहक मानसिक eoop से परेशान है, ऐसे ही घर कुल के लाभार्थी को जब मिट्टी मिश्रित रेत मिली तो वे तहसील कार्यालय पहुंचे
घरकुल योजना के तहत सरकार द्वारा प्रदान की जा रही रेत में मिलावट का मामला सामने आया है। वालधुर गांव के लाभार्थी कृपाकर बालबुधे ने रेत की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए तहसील कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि सरकारी रेत डिपो से 4 ब्रास रेत के लिए 9,000 रुपये चुकाने के बाद उन्हें रेत की जगह मिट्टी प्लस रेती मिली।
कृपाकर ने तहसीलदार सतीश मासाल को इस समस्या से अवगत कराया, जिसके बाद उन्हें आश्वासन मिला कि उन्हें अच्छी गुणवत्ता की रेत मिलेगी। हालांकि, यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या कृपाकर को फिर से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। हिंगणघाट क्षेत्र के कई घरकुल लाभार्थियों को भी इसी तरह की निम्न गुणवत्ता वाली रेत दी जा रही है, जिससे वे मजबूरन अवैध रेत माफिया से ऊंचे दामों पर रेत खरीदने को विवश हैं।
इस समस्या के पीछे सरकारी रेत डिपो से पत्थर और मिट्टी मिश्रित रेत देने की नीति का शक जताया जा रहा है। कुछ मामलों में, लाभार्थियों के नाम पर ज्यादा रेत लेकर उसे काले बाजार में बेचा जा रहा है।
जनता की मांग है कि इस शोषण के खिलाफ जिला अधिकारी स्तर पर सख्त कार्रवाई की जाए और सुनिश्चित किया जाए कि घरकुल लाभार्थियों को अच्छी गुणवत्ता की रेत मिले। सरकारी रेत डिपो से रेत वितरण में पारदर्शिता और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि घरकुल लाभार्थियों को उनके हक की रेत मिल सके और निर्माण कार्य में किसी प्रकार की रुकावट न आए।
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