- आर्वी उपविभागीय अधिकारी के फैसले ने दिल जीता
- मिली वृद्ध दंपति को राहत
- उम्मीदों पर खरी उतरी न्याय व्यवस्था
wardha आर्वी, 30 अक्टूबर
बुढ़ापे में बेटी अपनी सेवा और देखभाल करेगी, इस उम्मीद में एक वृद्धा ने अपना आशियाना बेटी को बख्शीशपत्र के रूप में सौंप दिया था। लेकिन समय के साथ जब वही बेटी मां की सेवा से कतराने लगी, तब निराश मां ने प्रशासन का दरवाजा खटखटाया।
सुनवाई के बाद उपविभागीय अधिकारी और वरिष्ठ नागरिक निर्वाह न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी विश्वास शिरसाट ने वृद्धा मां के पक्ष में फैसला सुनाते हुए वह मकान फिर से मां के नाम करने का आदेश दिया।
आर्वी तहसील के नांदोरा काळे गांव की निवासी राधाबाई चहांदे ने अपने पुश्तैनी घर का बख्शीशपत्र अपनी बेटी के नाम इस विश्वास के साथ किया था कि वह भविष्य में अपने माता-पिता की सेवा करेगी। लेकिन समय बीतने के बाद बेटी ने वृद्ध मां की देखभाल से मुंह मोड़ लिया। मजबूर होकर राधाबाई ने वरिष्ठ नागरिक निर्वाह न्यायाधिकरण, आर्वी में शिकायत दर्ज कराई।
न्यायाधिकरण ने दोनों पक्षों को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया। सुनवाई में सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद अधिकारी विश्वास शिरसाट ने मकान के हस्तांतरण को अवैध घोषित करते हुए वह संपत्ति फिर से वृद्धा मां के नाम करने का महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। उन्होंने कहा कि अपने माता-पिता की सेवा करना हर संतान का केवल नैतिक ही नहीं, बल्कि कानूनी दायित्व भी है। यदि संतान अपने वृद्ध माता-पिता की देखभाल नहीं करती, तो वरिष्ठ नागरिक न्यायाधिकरण के माध्यम से न्याय प्राप्त किया जा सकता है।
