युवती के कंधे को मिली दर्द से मुक्ति

  • वर्धा में शोल्डर आर्थ्रोप्लास्टी सर्जरी
  • सावंगी मेघे में हुआ सफल आपरेशन

Wardha वर्धा, 3 मई : सावंगी मेघे स्थित आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण रुग्णालय में एक युवा महिला के कंधे के जोड़ (सांधा) को बदलकर उसे पुराने दर्द से मुक्ति दिलाने वाली जटिल शल्य क्रिया (सर्जरी) सफलतापूर्वक की गई। यह ऑर्थोपेडिक सर्जरी रोगी को रोजमर्रा के जीवन में वापस लाने में सहायक सिद्ध हुई।


अमरावती जिले की 32 वर्षीय युवती लंबे समय से खांदे के दर्द से परेशान थी। उसके दाहिने कंधे में बार-बार होने वाले तीव्र दर्द के कारण उसकी दैनिक गतिविधियाँ प्रभावित हो रही थीं। खुद अपनी निजी जरूरतों को पूरा करने में भी उसे दर्द सहना पड़ता था। स्थानीय निजी डॉक्टरों की सलाह ली गई, लेकिन कोई संतोषजनक समाधान नहीं मिला। मेडिकल उपचार भी किए गए, पर दर्द से राहत नहीं मिली।

परिचितों ने बताया कि इस तरह के उपचार में लाखों रुपये खर्च होते हैं, जबकि कुछ ने दर्द से छुटकारा पाने के लिए जोखिम भरे विकल्प भी सुझाए। इसी दौरान अमरावती क्षेत्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सावंगी स्थित आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण रुग्णालय में इलाज कराने की सलाह दी। रोगी परिवार ने यह सलाह स्वीकार कर अस्थि रोग विभाग में डॉ. गजानन पिसूलकर, जोड़ प्रत्यारोपण के विशेषज्ञ हैं, से मुलाकात की। डॉ. पिसूलकर ने आधुनिक मेडिकल जांच के बाद पाया कि रोगी के दाहिने कंधे की हड्डी और जोड़ खराब हो चुके हैं।

दाहिने कंधे में दुर्लभ जोड़ दर्द (अँजिओफिब्रोमा ऑफ राईट ह्यूमरस) के कारण होने वाले दर्द से रोगी को राहत दिलाने और भविष्य में होने वाली गंभीर शारीरिक क्षति को रोकने के लिए डॉ. पिसूलकर ने पूरे कंधे के जोड़ को बदलने की सर्जरी करने का फैसला किया। इस सर्जरी में क्षतिग्रस्त जोड़ को हटाकर उच्च गुणवत्ता वाले कृत्रिम जोड़ (प्रोस्थेटिक जॉइंट) लगाए ।


जिससे रोगी को सामान्य हलचल करने में आसानी होगी। लगातार तीन घंटे चली इस सर्जरी में डॉ. पिसूलकर को ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉ. शिव जाधव, डॉ. ऋषभ कुंभारे, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉ. करुणा ताकसांडे पाटील और डॉ. श्रीलेखा मानखेर का सहयोग मिला। सर्जरी पूरी तरह सफल रही और रोगी को पुनर्वास उपचार शुरू किया गया है।

इतनी कम उम्र की रोगी में टोटल शोल्डर आर्थ्रोप्लास्टी (कंधे के जोड़ की पूर्ण प्रतिस्थापना) शायद ही की जाती है। लेकिन इस रोगी के लिए यही एकमात्र विकल्प था, इसलिए सावधानी से निर्णय लिया गया। सर्जरी के बाद रोगी के दर्द में काफी कमी आई है और उसकी सेहत में तेजी से सुधार हुआ है। डॉ. गजानन पिसूलकर ने बताया कि रोगी का दैनिक जीवन पहले जैसा हो गया है, जिससे उन्हें खुशी है।


इस सर्जरी से एक बार फिर यह साबित हुआ है कि विशेषज्ञ चिकित्सकों और आधुनिक सुविधाओं के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी जीवनदायी स्वास्थ्य सेवाएं और नवाचारी उपचार संभव हैं। यह विश्वास वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. संदीप श्रीवास्तव ने व्यक्त किया।

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