- आर्वी विधानसभा में भाजपा की कलह
- दादाराव केचे का बागी तेवर,
- आर्वी विधानसभा चुनाव होगा दिलचस्प
Wardha वर्धा , 28 अक्टूबर: महाराष्ट्र के आर्वी विधानसभा क्षेत्र में आगामी 2024 चुनाव दिलचस्प मोड़ ले रहा है। भाजपा नेता और पूर्व विधायक दादाराव केचे ने पार्टी नेतृत्व से टिकट न मिलने पर बगावत का रास्ता अपनाया है। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है, जिससे भाजपा खेमे में हलचल मच गई है।
केचे की जिद का सामना भाजपा के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने किया, लेकिन केचे ने पीछे हटने से इनकार कर दिया। भाजपा ने केचे की टिकट काटते हुए फड़णवीस के पूर्व सहायक सुमित वानखेड़े को उम्मीदवार बनाया है, जो केचे को नागवार गुजरा है ।
भाजपा की अनुशासित छवि के बावजूद, आंतरिक कलह ने पार्टी की स्थिति को चुनौती दी है। कई बार बैठकें और चर्चाएं होने के बावजूद, केचे 2024 में उम्मीदवार बनने की अपनी मांग पर अड़े रहे। उन्होंने मुंबई और नागपुर में शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर वानखेड़े की बढ़ती सक्रियता पर असहमति जताई, लेकिन भाजपा नेतृत्व उन्हें संतुष्ट नहीं कर सका।
अब जब केचे निर्दलीय उम्मीदवार हैं, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इससे विपक्षी दलों को फायदा मिल सकता है। माना जा रहा है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) उनके समर्थन में उतर सकती है। इससे आर्वी विधानसभा का चुनाव भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है।
इस बीच, भाजपा प्रदेश मुख्यालय ने सुमित वानखेड़े के नाम की तीसरी सूची में पुष्टि की है। आर्वी में इस संघर्ष से भाजपा की अंतर्गत कलह सतह पर आ गई है, जिससे विपक्ष को बढ़त मिलने की संभावना जताई जा रही है।
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