वर्धा शक्तिपीठ का समर्थन

  • बीवर्धा जिले के किसानों का समर्थन
  • एक जिले के विरोध में प्रोजेक्ट रद्द नही करने की मांग
  • किसान बोले 99 फ़ीसदी किसान समर्थन में

Wardha वर्धा 1 जुलाई : वर्धा के किसानों ने आज शक्तिपीठ महामार्ग के समर्थन में प्रभारी जिलाधिकारी नरेंद्र फुलझेले को ज्ञापन सौंपा। किसानों की मांग है कि उनकी जमीन का अधिग्रहण इस महामार्ग के लिए किया जाए, जिससे यातायात के साधन उपलब्ध हो सकें और उद्योगों का विकास हो सके।

विकास का विरोध नहीं, उचित मुआवजा चाहिए

वर्धा और देवली तहसील के किसानों का कहना है कि वर्धा, यवतमाल सहित राज्य के 12 जिलों में कहीं भी इस परियोजना का विरोध नहीं है। केवल एक जिले में विरोध होने के कारण पूरी परियोजना को रद्द करना उचित नहीं होगा। किसानों ने जोर देकर कहा कि वे विकास के विरोध में नहीं हैं, बल्कि उनकी मांग है कि उन्हें उनकी जमीन का उचित मुआवजा मिले।

ज्ञापन में किसानों की मांगें

किसानों ने जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें रखीं:

  • शक्तिपीठ महामार्ग को रद्द न किया जाए।
  • उनकी जमीन का अधिग्रहण उचित मुआवजे के साथ किया जाए।
  • सरकार द्वारा मुआवजा चार गुना तक दिया जाए, लेकिन यह उचित दर और मापदंडों के आधार पर होना चाहिए।

परियोजना से फायदे

किसानों का दावा है कि इस महामार्ग से कई फायदे होंगे और आवागमन सुगम हो जाएगा। इससे पहले भी समृद्धि महामार्ग का विरोध किया गया था, लेकिन अब वही किसानों का समर्थन इस परियोजना के लिए मिल रहा है। किसानों ने आरोप लगाया कि विरोध आंदोलन केवल अधिग्रहण की कीमत बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।

निष्कर्ष

वर्धा के किसानों का समर्थन शक्तिपीठ महामार्ग को लेकर स्पष्ट है। वे विकास के साथ हैं, बस उनकी मांग है कि उन्हें उचित मुआवजा मिले। यह ज्ञापन उनके दृढ़ विश्वास और विकास की दिशा में उठाए गए कदम का प्रतीक है।

फ्रेंडली सुझाव:

  1. शक्तिपीठ महामार्ग परियोजना: विकास और उचित मुआवजा।
  2. वर्धा के किसानों का समर्थन: विकास की दिशा में मजबूत कदम।
  3. महामार्ग का विरोध और समर्थन: किसानों की मांग और उनके अधिकार।

इस प्रकार की खबरें जागरूकता फैलाने और किसानों की आवाज को मजबूत करने में सहायक होती हैं।

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