पवार के गढ़ में विदर्भ की सेंध

  • विदर्भ की दस सीटों पर धूंआधार बैटिंग पूरी
  • अब मराठवाड़ा में महासंग्राम की रणनीति
  • अजीत पवार की पत्नी के लिए प्रचार

Wardha वर्धा :विदर्भ का वह शेर बारामती में शरद पवार के गढ में सेंध लगा रहा है. संगठनात्मक मजबूती का ऐसा खाका उसके दीमाग में फिट है कि पार्टी के पदाधिकारी होमवर्क करके उसकी बैठक में जाते हैं. विदर्भ की सभी दस सीटों के लिए गहन चुनावी प्लानिंग का रथ संभालने वाला युवक दूसरा कोई नहीं बल्कि सामान्य परिवार का सुपुत्र संजय गाते हैं. कुशल बुद्धि से राज्य में चुनाव का सुक्ष्म अतिसुक्षम रणनीति करने में गाते को महारथ हासिल है.

सन 1987 में संघ स्वयंसेवक से सामाजिक कार्य की शुरुआत करनेवाले संजय गाते आज भाजपा ओबीसी प्रदेश अध्यक्ष के ताैर पर सफलतापूर्वक कार्य कर रहे है. इसमें कोई संदेह नहीं कि भाजपा ने गाते की क्षमता को पहचानकर ही उन्हें बड़े पद साैंपे हैं. गाते ने विदर्भ की 10 सीटों के लिए प्रचार अभियान चलाया|


साथ ही संगठनात्मक ढांचे पर विशेष जोर दिया. बूथ स्तर से लेकर मंडल पदाधिकारी की चेन सिस्टम का जायजा गाते अपनी बैठकों में ले रहे हैं. सन 2019 के लोकसभा चुनाव में संजय गाते ने सबसे पहले भाजपा सांसद रामदास तड़स के चुनावी अभियान की बागडोर संभाली. जिसके चलते तड़स को काफी लाभ हुआ था. 2024 के चुनाव में रामदास तड़स के लिए प्रचार अभियान चलाने के साथ ही गाते ने चंद्रपुर, गढचिरोली, भंडारा गोंदिया, नागपुर , रामटेक में भी भाजपा के दिग्गज नेताओं के लिए चुनाव का माइक्रो प्लानिंग किया|


विदर्भ में गाते की तरह बड़े पदों पर अन्य भी नेता है, लेकिन गाते की तरह पूरे राज्य में दाैरा करके संगठनात्मक क्लास लेनेवाला कोई दूसरा गुरुजी पूरे विदर्भ में नहीं है. विदर्भ के बाद अब संजय गाते ने शरद पवार के बरामती में भी सेंध लगाने की शुरुआत कर दी है. बीते 10 दिनों से गाते बरामती के इंदापुर, कोल्हापुर, सोलापुर सहित अन्य शहरों में लगातार बैठकें ले रहे है|


जि.प. सर्कल, बूथ प्रमुख, शक्ति केंद्र प्रमुख, सुपर वॉरियर्स एवं जनप्रतिनिधियों के साथ दिनभर बैठकों का दाैर है. गाते कहते हैं कि हमारी असली ताकत बूथ प्रमख है. जिसने जो दायित्व स्वीकार किया था. उसने उस दायित्व के साथ कितनी ईमानदारी से काम किया है. इसका अनुमान पहली ही बैठक में लग जाता है. गाते के काम करने की यह स्टाइल फिलहाल पवार सेना में घबराहट पैदा कर रही है.


चुनावी परिणाम चाहे जो भी आए. इसमें संदेह नहीं कि भाजपा और पार्टी नेतृत्व को इस बात का पश्चाताप कभी नहीं होगा कि उन्होंने गाते को बड़े पद पर बैठाकर भूल की है. संजय गाते आम चर्चा में विनम्रतापूर्वक यह कहने से नहीं चूकते है कि पार्टी ने उन्हें महाराष्ट्र में मिटटी कला बोर्ड का अध्यक्ष बनाया. कुंभार समाज जैसे अल्प संख्यक समाज का होने के बाद भी भाजपा ओबीसी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी साैंपी और भी बड़े पदों से नवाजा, ऐसे में नमक का हक अदा करना उनका दायित्व है.

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