- वन विभाग के हाथ लगा है बड़ा गिरोह
- गुप्त धन के लिए तंत्र-मंत्र साधना
- आरोपियों का तीन दिनों का पीसीआर
Wardha वर्धा 1 मार्च
पुलगांव में खवलिया मांजर की खरीद-फरोख्त करने वाले छह तस्करों को चार दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है। इन आरोपियों से कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। अब यह भी पता चला है कि गुप्तधन खोजने के लिए भोली-भाली (पायालू ) लड़कियों का इस्तेमाल किया जाता था और उन्हें तांत्रिकों के पास ले जाया जाता था। इस पूरे मामले से यह स्पष्ट हो रहा है कि वन्यजीव तस्करी का यह रैकेट बहुत बड़ा है और वन विभाग इसकी गहराई से जांच कर रहा है।
27 तारीख की रात पुलगांव में छह तस्करों को खवलिया मांजर के साथ गिरफ्तार किया गया था। इन सभी आरोपियों को वन विभाग की हिरासत में रखा गया है। खास बात यह है कि आरोपियों के मोबाइल में नंबर केबल नंबर के रूप में सेव किए गए थे, जिससे यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि वे किनके संपर्क में थे। पुलिस इस दिशा में भी जांच कर रही है।
आरोपियों के मोबाइल में भोली-भाली लड़कियों के फोटो और वीडियो मिले हैं। इन सभी लड़कियों को तांत्रिकों के पास ले जाने की ज़िम्मेदारी गिरफ्तार आरोपी मोहम्मद खाँ के पास थी। अब उन सभी लड़कियों की तलाश की जा रही है और मामले की गहराई से जांच जारी है।
गुप्तधन खोजने वाले गिरोह सक्रिय हैं और गिरफ्तार तस्करों के राज्य के बाहर भी संबंध होने की जानकारी सामने आई है। यह गिरोह कछुओं और खवलिया मांजर की भी तस्करी करता था। आरोपियों के मोबाइल में सेव किए गए नंबर महाराष्ट्र के साथ-साथ अन्य राज्यों के भी हैं।
गिरफ्तार आरोपियो ने आष्टी के दो व्यक्तियों के साथ खवलिया मांजर का सौदा कर उसकी बिक्री की थी। यह सभी आरोपी आपस में जुड़े हुए थे। वन विभाग यह भी जांच कर रहा है कि अब तक और कहां-कहां वन्यजीवों की तस्करी की गई है।
आज भी समाज में गुप्तधन प्राप्त करने की लालसा बनी हुई है। इसी कारण नरबलि जैसी अमानवीय प्रथाएं होती हैं। इसमें तांत्रिक की मुख्य भूमिका होती है। वह गुप्तधन की चाह रखने वाले लोगों को बहकाकर अपने जाल में फंसाता है। वह लालच और लोभ देकर विश्वास हासिल करता है। फिर भोले-भाले बच्चों का अपहरण कर उन्हें गुप्तधन की जगह ले जाया जाता है। वहां उनकी पूजा की जाती है और फिर उनकी बलि दी जाती है। इसके बाद नियोजित स्थान पर उनका रक्त चढ़ाकर शव को ठिकाने लगाया जाता है।
खवलिया मांजर तस्करी और शिकार के लिए अत्यंत संवेदनशील प्रजाति है। इसकी तस्करी मुख्य रूप से पारंपरिक औषधियों और मांस के लिए की जाती है। खवलिया मांजर की खाल और खपड़ों (स्केल्स) का उपयोग पारंपरिक दवा बनने में किया जाता हैं।