- 15 दिनों से था समुद्रपुर में
- 5 पालतू जानवरों का किया शिकार
- तीन दिनों से बाघ का डेरा हिंगणघाट में
- रिमडोह में देखा गया आज सुबह
- किसान से चंद कदमों की दूरी पर था बाघ
wardha वर्धा 30 जुलाई :
वे बाघ के पगमार्क देखते हुए आहिस्तां आहिस्तां आगे बढ रहे थे, 1 , 2,3 और 4 कदम आगे बढे होंगे कि बाघ महाराज ने किसान कोचर और हुमायु बेग को करीब से दर्शन दे दिए. बाघ के फुट प्रिंट देखते देखते वे बाघ के जबड़े तक पहुंच जाएंगे. यह अनुमान किसानों को नहीं था . बाघ देखते ही वे किसान उल्टे पैर भागे ओर वन विभाग को इसकी जानकारी दी. तब जाकर वन विभाग की टीम आज सुबह से बाघ पकड़ने के लिए हिंगणघाट में डेरा डाले है.
जिले की समुद्रपुर तहसील में दशहत फैलाने के बाद अब पड़ोसी जिले का बाघ हिंगणघाट में है. तीन दिनों से बाघ की उपस्थिति पासपास के गांवों में देखने के बाद आज वन विभाग की टीम हिंगणघाट में पहुंची है. इस टीम में वर्धा, चंद्रपुर वन विभाग, ताडोबा अंधारी बाघ प्रकल्प के अधिकारियों का समावेश है.
समुद्रपुर में 15 दिनों तक पालतु पशुओं, वन्यजीवों का शिकार करने के बाद बाघ हिंगणघाट तहसील में तीन दिन पहले दाखिल हुआ था. इस बाघ ने किन्हाला, परडा, चीचघाट होते हुए आज सुबह रिमडोह में एंट्री करी है.
शहर से सटे रिमडोह में बाघ पकड़ने के लिए वर्धा, चंद्रपुर वन विभाग, ताडोबा अंधारी बाघ प्रकल्प की विशेष टीम कोचर के खेत में पहुंची. लेकिन देर शाम तक बाघ का कहीं कुछ पता नहीं चला है. वन विभाग की टीम पिंजरा, जाल, ट्रैंक्युलाइजर गन के साथ लैस है. दोपहर से देर शाम तक बाघ को पकड़ने के प्रयास होेते रहे लेकिन बाघ की माैजूदगी कहीं दिखी नहीं है. आशंका है कि वन विभाग की कीचड़ में फंसी जीप बाहर निकालने के लिए ट्रैक्टर बुलाया गया था. उसी ट्रैक्टर की आवाज सुनकर बाघ ने अपनी जगह बदलने की संभावना जताई जा रही है. जाम हाइवे पर बाघ और वन विभाग की कसरत देखने के लिए हिंगणघाट से सैंकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ रही थी. पुलिस की मदद से भीड़ को बाघ के रेस्क्यू आपरेशन से दूर रखने का प्रयास किया गया.
Read previous update :- लाश खोजने में लगे 40 घंटे https://www.vidarbhaupdate.com/?p=2601