वर्धा की पावर फुल बेटी

  • 15 साल पहले गई थी मुबई
  • कड़े संघर्ष के बाद कमाया नाम
  • नागपुर विशविद्यालय ने भी सम्मानित किया था
  • महिलाओं के लिए आदर्श क्षितिजा वाडकर वनखेडे

Wardha वर्धा 25 जून :
15 साल पहले वो अकेले ही वर्धा से मुंबई गईं थीं. साथ किसी का नहीं था, बल्कि साथ थी एक ब्रिफकेस, जिसमें शैक्षिक जीवन में मिले पुरस्कार, प्रमाणत्र थे. इन्हीं प्रमाणपत्रों ने उसे आगे बढते रहने के लिउ प्रेरित किया. 15 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद आखिर वर्धा की वह बेटी क्षितिजा वड़तकर ने फोर्ब्स की सूची में देश की प्रभावशाली विधिज्ञ के रूप में अपना स्थान पाया है.
डॉ. क्षितिजा वडतकर वर्धा निवासी सेवानिवृत्त प्रा. गुणवंतराव वडतकर और प्रा. एड. पूर्णिमा वडतकर की सुपुत्री है. 2008 में राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विश्वविद्यालय की सर्व श्रेष्ठ विद्यार्थी पुरस्कार क्षितिजा ने हासिल किया था.
वर्धा में पढी लिखी और बड़ी हुई क्षितिजा ने ‘संविधान व मानवाधिकार’ विषय में अनुसंधान करने पर उन्हें राष्टसंत तुकड़ोजी महाराज विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट पदवी बहाल की है. राज्य के क्राइम ब्रांच विभाग की वे उम्दा वकील है. साथ ही उन्होंने लोगों की मदद के लिए मुंबई में ‘लॉ फर्म की स्थापना की है.
2023 में इंडिया टूडे ग्रूप ने भारत की प्रथम 8 उदयोन्मुख महिलाओं के रूप में क्षितिजा को सम्मानित किया है. एड. क्षितिजा फोर्ब्स की सूची में “सर्वोत्कृष्ट संस्थापक एवं “सर्वोत्कृष्ट विधीज्ञ” (बेस्ट लायर) का का सम्मान मिला है.
एड. क्षितिजा वडतकर ने ‘फोर्ब्स लिगल पावर लिस्ट’ इन दो प्रतिष्ठित श्रेणियों में स्थान हासिल किया है. कानून की प्रख्यात जानकार एवं महिलाओं के लिए न्याय क्षेत्र में किए कार्यों के प्रति उन्हें यह सम्मान मिला है.
क्षितिजा वडतकर ने कहा कि 15 साल पहले वे मुंबई गई थीं. तब उन्हें वहां किसी की मदद नहीं थी. अपने बलबुते पर मुंबई जैसे महानगर में जगह बनाना कठिन था. लेकिन हिम्मत से काम किया और कानून के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई. थी. अथक प्रयासों के बाद देश की सर्वोच्च कानून कंपनी में स्थान पाने के बाद खुद की एक संस्था स्थापित की. नए उभरते हुए वकीलों को अवसर देने के साथ ही वंचित महलाओं को भी न्याय दिलाने का प्रयास किया.
क्षितिजा की सफलता पर उनके पति एवं भाजपा के लोकसभा चुनाव प्रमुख सुमित वानखेडे ने कहा कि समाज में किए गए प्रत्येक अच्छे कार्य की दखल ली जाती है. क्षितिजा की सफलता उसी अच्छे कार्यों की रसीद है.

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