- जिला परिषद के सामने नारेबाजी
- जीप के मुख्य अधिकारी को ज्ञापन
- राज्य के मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री को निवेदन
Wardha वर्धा 24 जून
AITUC से संबद्ध महाराष्ट्र राज्य स्वास्थ्य विभाग अंशकालीन महिला परिचारिका संघटना की ओर से 24 जून को AITUC राज्य सचिव कॉमरेड दिलीप उटाणे के नेतृत्व में डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा से मार्च निकालकर वर्धा जिला परिषद के सामने धरना आंदोलन किया गया।
अंशकालीन महिला परिचारिकाओं की राज्य स्तरीय मांगों का ज्ञापन जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रा.ज पराडकर को सौंपा गया।
वर्धा जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उपकेंद्र में कार्यरत अंशकालीन महिला परिचारिकाओं को जिला परिषद के फंड से दो गणवेश और पहचान पत्र दिए जाने पर AITUC संघटना की ओर से आभार व्यक्त किया गया।
महाराष्ट्र स्वास्थ्य सेवा के आयुक्त एवं अभियान संचालक ने 11 नवंबर 2020 को की गई सिफारिश के अनुसार, राज्य की अंशकालीन महिला परिचारिकाओं को 10,000 रुपये का एकत्रित वेतन लागू किया जाए।
अंशकालीन महिला परिचारिकाओं को शैक्षणिक योग्यता के अनुसार वर्ग 3 और 4 के रिक्त पदों पर समाहित किया जाए।
सरकारी कर्मचारियों की तरह अंशकालीन महिला परिचारिकाओं को अर्जित अवकाश, आकस्मिक अवकाश, चिकित्सा अवकाश और राजकीय त्यौहारों की छुट्टियां दी जाएं।
अंशकालीन महिला परिचारिकाओं को जनश्री बीमा योजना लागू की जाए। सेवानिवृत्ति की आयु निर्धारित कर सामाजिक सुरक्षा और जीवनयापन के लिए पेंशन दी जाए। अंशकालीन महिला परिचारिकाओं को मातृत्व अवकाश और भाऊबीज उपहार दिया जाए।
इन प्रमुख राज्य स्तरीय मांगों का ज्ञापन मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री, ग्राम विकास मंत्री के नाम माननीय मुख्य कार्यकारी अधिकारी और जिला स्वास्थ्य अधिकारी के माध्यम से भेजा गया।
केंद्र सरकार अंशकालीन महिला परिचारिकाओं को केवल 100 रुपये मासिक मानदेय देती है। प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री क्या 100 रुपये में महीने भर का खर्च चला सकते हैं? यह सवाल अंशकालीन महिला परिचारिकाओं ने इस समय व्यक्त किया।
आंदोलन में AITUC जिलाध्यक्ष कॉमरेड मनोहर पचारे, ताराबाई थेटे, संध्या बोरकुटे, बेबी बोरकर, शालू गवळी, अलका शहारे, ज्या मोरे, सिंधू इंगळे, स्मिता चिंचोलकर, निता दळवनकर, माधुरी पाटील आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।
आंदोलन में जोशना लवणकर, शारदा सनेकर, सर सुषमा वाघमारे, शोभा डोंगरे, पुष्पा विके, नंदा खडसे, रजनी सयाम, रमा डोळे, प्रतिभा धुर्वे, दीपाली मोहाड, रमा वानखेडे, प्रतिभा इंगळे, शालिनी मेश्राम, वंदना तायवाडे, पपीता पाटील, वंदना गराड, पार्वती पचारे, हिंदू गजरे, सुनंदा पाटील, उषा गोरले, सीताबाई श्रीनाथ आदि सैकड़ों अंशकालीन महिला परिचारिकाएं इस आंदोलन में शामिल हुईं।
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