अध्यात्म; महेश नवमी

  • विविध रूपों में जीवन संदेश: राजकुमार जाजू

Wardha वर्धा 14 जून:

देश भर में धूमधाम से महेश नवमी मना रहा है, जो समाज का उत्पत्ति दिवस है। महेश नवमी के दिन भगवान शिव की कृपा से 72 शिलाखंड पुनर्जीवित हुए और माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई। माहेश्वरी समाज के जिला समन्वयक राजकुमार जाजू ने महेश नवमी का आध्यात्मिक महत्व बताया ।

राजकुमार जाजू ने नवमी का महत्व समझाते हुए कहा की भगवान महेश के आदेशानुसार पूर्वजों ने क्षत्रियोचित अस्त्र-शस्त्र त्यागकर “कलम और तराजू” धारण किया और अहिंसक जीवन पद्धति अपनाई। यह पर्व उस प्रसंग का स्मरण करते हुए भक्ति और उल्लास से मनाया जाता है।

महेश नवमी के संदेश

. धार्मिक और सामाजिक संदेश: आराध्य महेश के विविध रूपों को जानें और उनकी महिमा को समझें। आदर्श और अनुकरण: महापुरुषों के आदर्शों का पालन करें। शिव का संदेश: तप, त्याग, परोपकार, संयम और सहनशीलता का पालन करें।

    शिव परिवार: विविधता में एकता

    शिव परिवार विविधता में एकता का उदाहरण है। बैल, सिंह, मयूर, मूषक और सर्प जैसे विभिन्न वाहनों के बावजूद सभी प्रेम से रहते हैं। यह संदेश देता है कि हम भी पारस्परिक सामंजस्य बनाए रखें और एकता से रहें।

    शिव की शिक्षाएं

    • विष से भरा कंठ: विष को सहने और मिठास बनाए रखने का संदेश।
    • त्याग और सादगी: न्यूनतम आवश्यकताओं से अधिक समाज हित में व्यय करें।
    • समत्वाधारित समाज: सबको समान मानें और समत्व भाव अपनाएं।
    • तीसरा नेत्र: स्वयं को देखने की दृष्टि विकसित करें।
    • वैराग्य और त्याग: त्याग मूर्ति शिव का अनुसरण करें।
    • परिवर्तन का डंका: डमरु से प्रेरणा लेकर जागरूकता फैलाएं।

    शिव की प्रतीकात्मकता

    • त्रिपुंड: भस्म का त्रिपुंड वैराग्य का प्रतीक है।
    • त्रिशूल: तापों का नाश और शांति की स्थापना।
    • कमल: कीचड़ में खिलता है, पर लिप्त नहीं होता।
    • ओम्: अखिल ब्रह्मांड का द्योतक।
    • नटराज: सृष्टि और संहार के संतुलन का नृत्य।

    इस महेश नवमी पर शिव के गुणों को धारण करें और समाज में शांति, एकता और प्रेम को बढ़ावा दें। महेश नवमी का पर्व तभी सार्थक होगा जब हम शिव तत्व की अवधारणा को अपनाकर अपने और समाज का कल्याण करें।

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