- 6 छात्रो का हुआ था निष्कासन
- 6 मई को कोर्ट में फिर से शपथ पत्र मांगा
- पहले शपथ पत्र से माननीय कोर्ट नहीं संतुष्ट
- छात्र को विवि में प्रवेश पर रोक का मामला
- कोर्ट ने लगाया था विवि के आदेश पर स्टे
Wardha वर्धा : हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना करने पर महाराष्ट्र के एक मात्र महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलसचिव डाॅ. धरवेश कठेरिया को हाइकोर्ट ने फटकार लगाई है. कोर्ट ने आदेश में कहा है कि रजिस्टार के जवाब से न्यायालय संतुष्ट नहीं है, इसलिए 6 मई को पुन: शपथपत्र के साथ कोर्ट में पेश हों. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पीएच.डी. के छात्र निरंजन ओबेरॉय का 27 जनवरी, 2024 को विविध प्रशासन ने निष्कासन कर दिया था. छात्र पर आरोप था कि वह विवि विरोधी गतिविधियों में शामिल था, विवि प्रशासन ने जनवरी 2024 को 6 विद्यार्थियों का निष्कासन किया था.
इस आदेश के खिलाफ निरंजन ओबेराॅय के नागपुर हाईकोर्ट में जाने पर 16 फरवरी को उसके निष्कासन पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया था. कोर्ट के स्टे आर्डर को लेकर निरंजन 17 फरवरी 2024 को विवि परिसर पहुंचा , लेकिन उसे विवि के भीतर जाने से सुरक्षा कर्मचारियों ने रोक दिया था. इस कारण निरंजन ओबेराॅय ने न्यायालय के आदेश की एक प्रति ई-मेल से विवि के कुलसचिव और अन्य संबंधित अधिकारियों को भेजी थी. ताकि उसे विवि परिसर में प्रवेश मिल सके.
बावजूद इसके निरंजन को प्रवेश नहीं दिया गया. एक छात्रा के विश्वविद्यालय प्रवेश को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन आखिर इतना क्यों चिंतित है कि उसने माननीय न्यायालय के आदेश की भी अवमानना कर दी है. न्यायालय के आदेश की अवमानना होने से हिंदी विवि के कुलसचिव डाॅ. धरवेश कठेरिया 29 अप्रैल को कोर्ट में पेश हुए थे. तब कोर्ट ने कुलसचिव को जमकर फटकार लगाई और उन्हें न्यायालय के आदेश की अवमानना का दोषी माना. अब कोर्ट ने हिंदी विवि के कुलसचिव को 6 मई 2024 की दोपहर ढाई बजे नए शपथ पत्र के साथ पेश होना है.
संविधान और नियम कायदे की दुहाई देनेवाले कुल सचिव अब इस बार कोर्टमें कौन सा शपथ पत्र पेश करेंगे इस पर सभी का ध्यान लगा हुआ है ध्यान लगा है, कोर्ट के आदेश के बाद भी आखिर छात्र निरंजन ओबेरॉय को विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करने से क्यों रोका गया इस बात खुलासा तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने करना चाहिए.