नागपुर : 8 अप्रैल को चंद्रपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में मुनगंटीवार के बयान पर कांग्रेस दल सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं. बयान की सच्चाई जानने की कोशिश की गई तो पता चला कि मुनगंटीवार के भाषण का वीडियो को बीच में काटा और उसे वायरल किया जा रहा था.निश्चित ही जानबूझकर ऐसा किया हैं सुधीर मुनगंटीवार ने आज इस पर पलटवार करते हुए कहा की, आधा वीडियो वायरल करने से साबित हो रहा हैं की कांग्रेस में हताशा और निराशा का भाव हैं, इसी कारण ऐसा हो रहा हैं, जिस तरह से आपातकाल और 1984 के सिख दंगों के दौरान अत्याचार किए गए थे, निर्दोष लोगों को जेल में डालने की घटनाएं, किसी का विरोध करने पर अखबारों को खबर छापने से रोकना, जानकारी नहीं देने पर भाई बहन के साथ घटिया हरकतों के संबंध में मैंने कल सभा में कहा था.
1984 के दंगों में क्या हुआ, इसकी जानकारी मैंने कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में चंद्रपुर की रैली में मौजूद भीड़ को दी. इस सभा में लाखों लोग थे. उनमें से किसी को भी मेरे भाषण पर आपत्ति नहीं है. वे अपने घरों में बैठकर भाषण सुने बिना जानकारी को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं, तब अहसास होता हैं की वे लोग राजनितिक षड्यंत्र के तहत झूठ फैला रहे हैं. लाखों की भीड़ देखकर उन्हें पेट में दर्द का हो रहा है. हमारे विरोधी कहते हैं कि यह ‘तानाशाही बनाम लोकतंत्र’ की लड़ाई है. सब जानते हैं कि सिख समुदाय ने जो दंगे की त्रासदी भोगी हैं, उसी का जिक्र किया था, जो दंगे हमने देखे, उनमें पत्नी की आंखों के सामने उसके पति को चलते ट्रक के सामने फेंक दिया गया. ये खबरें तब के अखबारों में छपी थीं. वे इन खबरों का खंडन करने या इन खबरों पर माफी मांगने के बजाय उलटे हमें ही तानाशाही कहते है.
मुनगंटीवार ने कहा की मेरे पिता डॉक्टर थे, निर्दोष थे, लेकिन उन्हें जेल में डाला गया. एक भी कांग्रेसी नेता में यह कहने का साहस नहीं है कि उनकी वजह से लोकतंत्र कैसे चूर चूर हुआ. झूठ फैलाने के लिए उन्होंने दिल्ली की एक कंपनी को काम पर रखा है और इस तरह लोगों के बीच संदेह और दुविधा पैदा करना उस कंपनी का काम है। झूठ के दम पर वह चुनाव जितने की कोशिश में हैं.